दलित, ओबीसी, अल्पसंख्यक और आदिवासी वर्ग के बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कंस्टीट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया, नई दिल्ली में बैठक किए। इसमें सभी वर्ग के प्रमुख लोगों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए और निष्कर्ष पर पहुँचा गया कि 85% उल्लेखित समाज एक सूत्र में होकर साम्प्रदायिक, मनुवादी और फासीवादी ताकतों के खिलाफ संगठित हों। एक तरह से यह नई मुहिम है जिसका नेतृत्व दलित, मुस्लिम, पिछड़ा, आदिवासी और ईसाई का नागरिक समाज करेगा। नागरिक समाज पहले भी सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन किए लेकिन उनका नेतृत्व हमेशा सवर्ण समाज के हाथ में रहा है । कारणों में बिना जाये यह कहा जा सकता है कि सवर्ण समाज बहुसंख्यक में सांप्रदायिक शक्तियों के साथ चला गया है। हम चाहकर भी उसका साथ नहीं ले सकते और यही कारण है कि दलित, अल्पसंख्यक, पिछड़े और आदिवासियों को एक सूत्र में बांधकर नफ़रत के ख़िलाफ़ संगठित होना ही होगा। देश के साधनों पर कुछ लोगों का ही आधिपत्य हो गया है और यह तेज़ी से होता जा रहा है। इनके साधन का दुरुपयोग सांप्रदायिक और तानाशाही ताकतें कर रही हैं। इस कारण से हमें नौकरी, व्यापार और शिक्षा से वंचित कर दिया जा रहा है। मीडिया भी इन्हीं के नियंत्रण में है। सरकारी संपत्ति, सार्वजनिक प्रतिष्ठानों और विभागों के निजीकरण के माध्यम से देश का धन कुछ चुनिंदा व्यावसायिक लोगों के हवाले तेजी से किया गया जिसे रोकना जरूरी है। विकसित देश भी ईवीएम का त्याग कर चुके हैं तो भारत में ऐसा क्यों नहीं?
दलित, ओबीसी, अल्पसंख्यक और आदिवासी समाज एक मंच पर इकट्ठा होकर ही इस चुनौती का मुक़ाबला कर सकते हैं । इनमें आपसी भाईचारा क़ायम करने के लिए हर माध्यम को अपनाया जाये जैसे सामूहिक भोज, व्यापारिक संबंध, सुख-दुख में शामिल होना आदि । हमारा उद्देश्य संविधान बचाना, हिस्सेदारी और लोक तंत्र की रक्षा करना है ।
जब लोकतंत्र खतरे में हो तो ग़ैर राजनीतिक संगठन और लोगों को बचाने के लिए आगे आना चाहिए ।अगर ऐसा नहीं होता तो जिम्मेदारी से भागना ही माना जाएगा। जो तटस्थ रहेगें उनको इतिहास माफ नहीं करेगा ।
अल्प समय की सूचना पर भी अच्छी संख्या में अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी इकट्ठा हो सकें। इसलिए इस संदेश को राष्ट्रीय स्तर पर फैलाव के लिए आगामी 15 जून को एनडीएमसी ऑडिटोरियम, जंतर मंतर, नई दिल्ली में देश भर के प्रतिनिधियों का आवाहन किया गया है।
सभी वर्गों से निम्नलिखित प्रमुख प्रतिनिधियों ने भाग लिया - डॉ उदित राज, डॉ. सैयद जफर महमूद, सैयद महमूद अख्तर, सरदार अजमेर सिंह, कयामुद्दीन, डॉ. एंथोनी, ए. पी. खान, एड. शाहिद अली, भंते सुमित रतन, एड. सतीश सांसी, इरफान बैग, एस. एम. शकील, नावेद खान, फैज ओ हाशमी, उस्मान खान, हकीम जमालुद्दीन, रेव. प्रकाश बिशप, के. एस. रनोट, वसीम फारूक, फहीम खान, साधू सिंह, लियाकत अली, महेंद्र सिंह, अमन विल्सन, राजकुमार कटारिया, मोहम्मद जावेद, आदि।