डॉ उदित राज (पूर्व सांसद) के नेतृत्व में आज दलित, ओबीसी, मॉइनॉरिटीज और आदिवासी परिसंघ (डोमा) के बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का राष्ट्रीय अधिवेशन एनडीएमसी ऑडिटोरियम, जंतर मंतर, नई दिल्ली में



डॉ उदित राज (पूर्व सांसद) के नेतृत्व में आज दलित, ओबीसी, मॉइनॉरिटीज और आदिवासी परिसंघ (डोमा) के बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का राष्ट्रीय अधिवेशन एनडीएमसी ऑडिटोरियम, जंतर मंतर, नई दिल्ली में  संपन्न हुआ। पूरे देश से लगभग 500 प्रतिनिधि शामिल हुए। सभी वर्ग के प्रमुख लोगों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए और निष्कर्ष पर पहुँचा गया कि 85% उल्लेखित समाज एक सूत्र में होकर साम्प्रदायिक, मनुवादी और फासीवादी ताकतों के ख़िलाफ़ संगठित हों। एक तरह से यह नई मुहिम है जिसका नेतृत्व दलित, मुस्लिम, पिछड़ा, आदिवासी और ईसाई का नागरिक समाज करेगा। नागरिक समाज पहले भी सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन किए लेकिन उनका नेतृत्व हमेशा सवर्ण समाज के हाथ में रहा है । कारणों में बिना जाये यह कहा जा सकता है कि सवर्ण   समाज बहुसंख्यक में  सांप्रदायिक शक्तियों के साथ चला गया है। हम चाहकर भी उसका साथ नहीं ले सकते और यही कारण है कि दलित, अल्पसंख्यक, पिछड़े और आदिवासियों को एक सूत्र में बांधकर नफ़रत के ख़िलाफ़ संगठित होना ही होगा। देश के साधनों पर कुछ लोगों का ही आधिपत्य हो गया है और यह तेज़ी से होता जा रहा है। इनके साधन का दुरुपयोग सांप्रदायिक और तानाशाही ताकतें कर रही हैं। इस कारण से हमें नौकरी, व्यापार और शिक्षा से वंचित कर दिया जा रहा है। मीडिया भी इन्हीं के नियंत्रण में है। सरकारी संपत्ति, सार्वजनिक प्रतिष्ठानों और विभागों के निजीकरण के माध्यम से देश का धन कुछ चुनिंदा व्यावसायिक लोगों के हवाले तेजी से किया गया जिसे रोकना जरूरी है। विकसित देश भी ईवीएम का त्याग कर चुके हैं तो भारत में ऐसा क्यों नहीं?

दलित, ओबीसी, अल्पसंख्यक और आदिवासी समाज एक मंच पर इकट्ठा होकर ही इस चुनौती का मुक़ाबला कर सकते हैं । इनमें आपसी  भाईचारा क़ायम करने के लिए हर माध्यम को अपनाया जाये जैसे सामूहिक भोज, व्यापारिक संबंध, सुख-दुख में शामिल होना आदि । हमारा उद्देश्य संविधान बचाना, हिस्सेदारी और लोक तंत्र की रक्षा करना है।

वक़्फ़ बचाने की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट से लेकर सड़क तक डोमा परिसंघ लड़ रहा है और आगे भी जारी रहेगी।

बोध गया में महाबोधि मंदिर का प्रबंधन बौद्धों को सौंपने के लिए डोमा परिसंघ प्रत्येक स्तर पर लड़ाई लड़ेगा।

अंबेडकर के विचार को मानने वाले वकील और नागरिक ख़ुद चंदा कर ग्वालियर में डॉ अंबेडकर की मूर्ति लगवाने का इंज़माम किए और भोपाल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने मूर्ति लगाने का आदेश भी दिया ।बीजेपी और आरएसएस के लोग मूर्ति को प्रांगण में ले जाने नहीं दिया और मूर्ति लगाने का आंदोलन जारी है । आज यह भी प्रस्ताव पास किया गया कि ग्वालियर कोर्ट परिसर में किसी भी दशा में डॉ. की प्रतिमा लगाने के लिए डोमा परिसंघ संघर्ष करेगा।

 

जब लोकतंत्र खतरे में हो तो ग़ैर राजनीतिक संगठन और लोगों को बचाने के लिए आगे आना चाहिए ।अगर ऐसा नहीं होता तो जिम्मेदारी से भागना ही माना जाएगा। जो तटस्थ रहेगें उनको इतिहास माफ नहीं करेगा।

 

सम्मेलन को डॉ उदित राज के अतिरिक्त सतीश कुमार सांसी को आर्डिनेटर, डोमा परिसंघ ,सी. पी. सिंह, राष्ट्रीय महासचिव, देवी सिंह राणा, महासचिव डोमा परिसंघ,कुणाल कुमार, राष्ट्रीय महासचिव, डोमा परिसंघ,चन्द्र भूषण, राष्ट्रीय सचिव डोमा परिसंघ,प्रदीप अंभोरे, राष्ट्रीय सचिवए पी खानदिल्ली प्रदेश अध्यक्ष,बासुदेब मंडल, प्रदेश अध्यक्ष, पश्चिम बंगाल,विजय बहादुर, उत्तरप्रदेश अध्यक्ष, विजय शंकर पासवान, बिहार प्रदेश अध्यक्ष,प्रीतम अठावले, महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष, आर. के कलसोत्रा, जम्मू प्रदेश अध्यक्ष, महेश्वर राज , तेलंगाना प्रदेशाध्यक्ष, ए आर सिंह , मध्य प्रदेश अध्यक्ष,अंशु एंथोनी, बाबू सिंह बौद्ध, साधू सिंह जी, मौलाना मुहिबुल्लाह नदवीरामपुर सांसद, फैजू हासमी , रिटायर्ड आई. ए.एस, लक्ष्मण राबा , किरण जीत सिंह गेरी आदि कई पदाधिकारियों ने  संबोधित किया।